चीन के किया नेपाल कि जमीन पर कब्ज़ा, गस्त पर गई नेपाली टीम पर चीन के सुरक्षाकर्मियों ने हुमला में आंसू गैस के गोले दागे
अब आधिकारिक तौर पर यह पुष्टि हो चुकी है कि चीन ने नेपाल की जमीन पर कब्जा कर लिया है और नेपाल के हुमला जिले के लिमी क्षेत्र में इमारतों का निर्माण भी कर लिया है। नेपाल का यह क्षेत्र भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ से सिर्फ़ 70 किमी से कम की दूरी पर स्थित है।
5 अक्टूबर को नेपाल की 19-सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम जिसमें नेपाली राजनेता और अधिकारी शामिल थे वो इस इलाक़े में चीनी अतिक्रमण के बारे में खबरों का सत्यापन करने के लिए लिमी गए हुए थे, उन्होंने पाया कि चीन ने इलाके में इमारतों का निर्माण किया था और सीमा स्तंभ संख्या 11, 12 को बिना नेपाल की अनुमति के उखाड़ कर फेंक दिया है।
स्थानीय समाचार पत्रों और स्थानीय नाराजगी की रिपोर्ट के बाद नेपाल सरकार को इस तथ्य का पता लगाने वाली टीम को भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा कि चीन ने नेपाल के क्षेत्र में घुसपैठ की और उस पर कब्जा कर लिया। अगस्त के अंतिम सप्ताह में, नेपाल सरकार सक्रिय हुई और हुमला के सहायक मुख्य जिला अधिकारी से जमीनी रिपोर्ट मांगी और अतिक्रमण का विवरण मांगा। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद, तथ्य खोज टीम इस क्षेत्र में गई।
चीनी अतिक्रमण को लेकर खबर फैलने के साथ ही काठमांडू में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। राजनीतिक दलों और आम लोगों ने 28 सितंबर को चीनी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीन ने नेपाल के क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए सलामी-स्लाइसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था।
नेपाल सरकार जो चीनी सरकार को नाराज नहीं करना चाहती है पर अब विपक्षी दलों के द्वारा विशेषज्ञों की टीम भेजने का दबाव है, ताकि जीपीएस और स्ट्रिप मैपिंग के माध्यम से चीनी अतिक्रमण के स्तर का पता लगाया जा सके।
हालाँकि नेपाल के प्रधान मंत्री के.पी. शर्मा ओली, जिन्हें व्यापक रूप से चीनी समर्थक के रूप में देखा जाता है, अभी भी विचार कर रहे हैं कि इस मुद्दे को कैसे सुलझाया जाए क्योंकि एक बार अतिक्रमण को वैज्ञानिक साधनों के माध्यम से प्रलेखित किया जाता है, तो उनके पास चीनी सरकार को पेश करने और वापसी की तलाश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
चीन ने नेपाल की ज़मीन पर अतिक्रमण के बाद अब इसे अपना क्षेत्र कह रहा है। अब नेपाल के प्रधान मंत्री के.पी. शर्मा ओली को भी पता चल चुका है कि चीन जिस क्षेत्र पर क़ब्ज़ा करता है, वहाँ से पीछे हटने में बहुत आना कानी करने के साथ अपने ताक़त भी दिखाता है।
मई-जून के बाद से नेपाल और भारत की मीडिया में इस क़ब्ज़े की जानकारी आने के बाद नेपाल सरकार ने अभी तक कुछ नही किया है, इससे साफ़ ज़ाहिर होता है की एक तरफ़ नेपाल भारत से सीमा विवाद में उलझ रहा है और वहीं दूसरी तरफ़ जहाँ चीन ने नेपाल की ज़मीन में क़ब्ज़ा कर लिया है उसके बारे में कुछ भी कहने से बच रहा है। इस बात से साफ़ है की नेपाल की ओली सरकार चीन की समर्थक है और वह आँख बंद करके नेपाल को चीन के हवाले कर चुकें हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि ओली चीन का सामना नहीं करना चाहता है, क्योंकि चीन नेपाल को अपने पाले में करने और भारत से दूर करने के लिए क़र्ज़ का बोझ लाद चुका है।
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